
शिक्षा तथा अनुदेशन: इस आर्टिकल में हम शिक्षा तथा अनुदेशन के बीच का अंतर जानेंगे कि आखिर किस तरह ये दोनों शब्द एक दुसरे से अलग हैं।
इन दोनों शब्दों के बीच के अंतर को जाननेके बाद हम दोनों को इस्तेमाल करने का तरीका जान पाएंगे।
शिक्षण अथवा शिक्षा
शिक्षण एक ऐसी परिस्थिति का नाम है जिसके अंतर्गत एक व्यक्ति दुसरे को ज्ञान प्रदान करता है। शिक्षण का अर्थ होता है सीख देना। शिक्षण, मानवीय कार्यों का एक ऐसा उदाहरण है जिसका उद्देश्य मानव की कार्य करने की क्षमता को बढ़ाना है।
इससे (शिक्षण से) सम्बंधित और अधिक जानकारी के लिए आप यह आर्टिकल पढ़ सकते हैं।
अनुदेशन
अनुदेशन बालक को ज्ञान प्राप्त करने और अपनी बुद्धि का विकास करने में सहायता करता है। बालक शिक्षक से काफी कुछ सुनता है और उसके निर्देश अनुसार पुस्तकों और विभिन्न विषयों को पढता है।
फलतः उसके ज्ञान में वृद्धि होती है और वह अच्छे तथा बुरे कार्यों में अंतर करने लगता है।
सी सेशाद्री के अनुसार “ज्ञान प्राप्त करना शिक्षा का एक आवश्यक अंग है। और अनुदेशन वह प्रक्रिया है जो इस ज्ञान की प्राप्ति में सहायता करती है।
हमेशा से शिक्षा को अनुदेशन ही मान लिया जाता रहा है जिसके अनुसार अध्यापकों से यह अपेक्षा की जाती थी कि वह विभिन्न विषयों से सम्बंधित सूचनाएं प्रदान करें और छात्र उन्हें यह कर लें।
इसके अंतर्गत छात्र को कुछ समझ आया या नहीं उसपर ध्यान नहीं दिया जाता था। ये ज्ञान सिर्फ परीक्षाएं पास करने मात्रा ही समझा जाता था। जो कि गलत था।
समय के साथ आये परिवर्तनों ने काफी कुछ बदल दिया है। अनुदेशन तथा शिक्षण दोनों में ही आज परिवर्तन देखने को मिलते हैं।
आज छात्रों को रटाने वाली विधियों को भुला देने वाले तरीके खोज लिए गए हैं। आज बालक ज्ञान को रटने के वजाय उसको समझने पर ज्यादा ध्यान देता है।
आज छात्र विभिन्न विषयों कि जानकारी रखने के साथ साथ उनको समझने की भी जिज्ञासा रखता है।
शिक्षकों से भी उम्मीदें लगायी जाती हैं कि वे भी बालक से समय समय पर सवाल पूछ कर उसमें जिज्ञासा उत्पन्न करें और शिक्षण को ज्ञानवर्धक बनाएं।
बालक को सब कुछ समझा देने के बाद उसमें जिज्ञासा और बढ़ती है और वह दूसरी वस्तुओं को खुद ही समझने का प्रयत्न भी करता है।
अतः अनुदेशन को एक ऐसी प्रक्रिया कहा जा सकता है जिसके द्वारा द्वारा अध्यापक छात्र को विभिन्न विषयों से सम्बंधित ज्ञान प्रदान करता है।
शिक्षा तथा अनुदेशन में अंतर
शिक्षा (Education) | अनुदेशन (Instruction) |
1. शिक्षा एक व्यापक अवधारणा है। | यह एक संकुचित अवधारणा है। क्योंकि यह स्कूलिंग का अंग है । |
2. शिक्षा व्यक्ति के संपूर्ण विकास में सहायता करती है तथा यह बच्चे के जीवन को सुधारती है। | अनुदेशन ज्ञान प्रदान करने तक सीमित है। यह सिर्फ परीक्षा पास करने हेतु बनाता है। |
3. यह एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। | ह एक प्रकार कि कृतिम प्रक्रिया है क्योंकि इसमें प्राप्त ज्ञान आरोपित हो जाता है। |
4. औपचारिक शिक्षा के लिए एक निश्चित अध्यापक की आवश्यकता होती है किन्तु अनौपचारिक शिक्षा के लिए कोई भी अध्यापक हो सकता है। | इसके अंतर्गत विशेष रूप से नियुक्त अध्यापक ही कार्य कर सकते हैं। |
5. शिक्षा के अंतर्गत बालक का स्थान मुख्य होता है क्योंकि शिक्षा बालक केंद्रित होती है। | इसके अंतर्गत अध्यापक का एक विशेष स्थान होता है अतः यह विधि अध्यापक केंद्रित या विषय केंद्रित होती है। |
6. औपचारिक शिक्षा में मूल्यांकन आवश्यक होता है किन्तु अनौपचारिक शिक्षा में यह आवश्यक नहीं होता। | इसमें भी मूल्यांकन आवश्यक होता है। |
7. औपचारिक शिक्षा के अंतर्गत प्रमाण पत्र आदि का प्रावधान होता है लेकिन अनौपचारिक शिक्षा में प्रमाण पत्र प्रदान नहीं किये जाते । | इसके अंतर्गत भी परीक्षा पास होने पर प्रमाण पत्र आदि दिए जाते हैं। |
8. शिक्षा के अंतर्गत अनुशाशन पर अधिक बल दिया जाता है। क्योंकि शिक्षा जीवन का आधार है। | इसके अंतर्गत प्रदान किया गया ज्ञान अस्थायी होता है। क्योंकि इसको परीक्षा कि दृष्टि से ही प्रदान किया जाता है। |
9. शिक्षा द्वारा प्रदान किया गया ज्ञान स्थिर होता है क्योंकि बालक ज्ञान को अनुभव के साथ प्राप्त करता है। | अनुदेशन के अंतर्गत बच्चों को आदेश देकर अनुशासित किया जाता है। |
शिक्षा के अंतर्गत पाठ्यक्रम निश्चित तथा अनिश्चित दोनों होता है। जहाँ औपचारिक शिक्षा के लिए पाठ्यक्रम निश्चित होगा वहीँ अनौपचारिक शिक्षा के लिए यह निश्चित नहीं होगा। | अनुदेशन के अंतर्गत पाठ्यक्रम निश्चित होता है। |
विधियां भी शिक्षा में निश्चित तथा अनिश्चित दोनों होती हैं। औपचारिक शिक्षा के लिए विधियां निश्चित होंगी वहीँ अनौपचारिक शिक्षा के लिए यह निश्चित नहीं होंगी। | अनुदेशन के अंतर्गत निश्चित विधियां आती हैं जैसे – प्रश्नोत्तर विधि, भाषण विधि, और वाद विवाद विधि आदि। |
शिक्षा प्रदान करने के लिए औपचारिक तथा अनौपचारिक दोनों प्रकार की संशाएँ हो सकती हैं। | अनुदेशन को केवल औपचारिक संस्थानों में ही प्रदान किया जा सकता है। जैसे स्कूल। |
शिक्षा में औपचारिक तथा अनौपचारिक दोनों शिक्षाओं के लिए अलग अवधियाँ होंगी। | अनुदेशन के अंतर्गत अवधि निश्चित होती है। |
औपचारिक शिक्षा में निश्चित समय लगेगा परन्तु अनौपचारिक शिक्षा में अनिश्चित समय लगेगा। | इसकी समयावधि भी निश्चित होती है |
आशा करते हैं कि आपको शिक्षा तथा अनुदेशन में अंतर यह आर्टिकल पसंद आया होगा। आप इस (शिक्षा तथा अनुदेशन में अंतर) आर्टिकल से सम्बंधित और हमारी वेबसाइट से सम्बंधित किसी जानकारी के लिए हमें यहाँ संपर्क कर सकते हैं।
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