सूचना तथा ज्ञान में अंतर। (Difference Between Information and Knowledge)

सूचना तथा ज्ञान Information and Knowledge
सूचना तथा ज्ञान में अंतर

सूचना तथा ज्ञान (Information and Knowledge): सूचना तथा ज्ञान दोनों को कई बार हम एक ही समझ लेते हैं। लेकिन सूचना तथा ज्ञान (Information and Knowledge) दोनों अलग-अलग होते हैं। इस आर्टिकल में हम सूचना तथा ज्ञान (Information and Knowledge) के बारे में विस्तार से पढ़ेंगे। और ये भी जानेंगे की आखिर सूचना (Information) किस तरह ज्ञान (Knowledge) से अलग है। हम सूचना तथा ज्ञान के अंतरों की भी यहाँ चर्चा करेंगे।

ज्ञान तथा सूचना के वारे में आप क्या जानते हैं? सूचना तथा ज्ञान के सम्बन्ध का वर्णन कीजिये। सूचना तथा ज्ञान में अंतर स्पष्ट कीजिये।

(What do you know about information and knowledge? Describe the relationship between information and knowledge. What is the difference between information and knowledge?)

इनफार्मेशन या सूचना का अर्थ

सूचना उस डेटा को संदर्भित करती है जिसे मूल्य और अर्थ जोड़ने वाले तरीके से संसाधित, व्यवस्थित या संरचित किया गया है। यह ज्ञान बनाने या अंतर्दृष्टि प्रदान करने के लिए डेटा एकत्र करने, विश्लेषण करने और व्याख्या करने का परिणाम है। सूचना हमारे डिजिटल युग में एक मूलभूत अवधारणा है, जहां दैनिक आधार पर बड़ी मात्रा में डेटा उत्पन्न और एक्सेस किया जाता है।

जानकारी के कुछ प्रमुख पहलू यहां दिए गए हैं:

  • डेटा और अर्थ: सूचना डेटा से ली गई है। डेटा अपने आप में बिना किसी अंतर्निहित अर्थ के कच्चे तथ्य, आंकड़े या अवलोकन होते हैं। हालाँकि, जब डेटा को संसाधित, प्रासंगिक और व्यवस्थित किया जाता है, तो यह सार्थक और उपयोगी हो जाता है।
  • संगठन और संरचना: समझ और पहुंच को सुविधाजनक बनाने के लिए सूचना को आम तौर पर व्यवस्थित और संरचित किया जाता है। इसे वर्गीकृत, वर्गीकृत या तार्किक प्रारूप में प्रस्तुत किया जा सकता है, जैसे टेबल, चार्ट, ग्राफ़ या विवरण।
  • संचार और प्रसारण: ज्ञान, अंतर्दृष्टि या संदेशों को संप्रेषित करने के लिए सूचना साझा या प्रसारित की जाती है। इसे विभिन्न माध्यमों से संप्रेषित किया जा सकता है, जिसमें लिखित पाठ, बोली जाने वाली भाषा, दृश्य प्रतिनिधित्व या डिजिटल प्रारूप शामिल हैं।
  • संदर्भ और प्रासंगिकता: सूचना एक विशिष्ट संदर्भ में महत्व और प्रासंगिकता प्राप्त करती है। यह कारकों से प्रभावित होता है जैसे कि सूचना का उद्देश्य, इसके लिए लक्षित दर्शक, और विशिष्ट डोमेन या ज्ञान का क्षेत्र जिससे यह संबंधित है।
  • सटीकता और विश्वसनीयता: विश्वसनीय जानकारी सटीक डेटा और भरोसेमंद स्रोतों पर आधारित होती है। इसकी सटीकता और विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए यह सत्यापन, सत्यापन और गुणवत्ता नियंत्रण प्रक्रियाओं से गुजरता है। विश्वसनीय जानकारी पूर्वाग्रह, त्रुटियों या विकृतियों से मुक्त होती है।
  • उपयोगिता और निर्णय लेना: सूचना मूल्यवान है क्योंकि यह निर्णय लेने और कार्यों का समर्थन करने में सक्षम बनाती है। यह अंतर्दृष्टि, ज्ञान और साक्ष्य प्रदान करता है जो व्यवसाय, विज्ञान, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा सहित विभिन्न डोमेन में विकल्पों को सूचित कर सकता है, समस्याओं को हल कर सकता है या रणनीतिक योजना का मार्गदर्शन कर सकता है।
  • डेटा से सूचना से ज्ञान: डेटा को विश्लेषण, व्याख्या और संश्लेषण के माध्यम से सूचना में परिवर्तित किया जाता है। जैसे-जैसे व्यक्ति या प्रणालियाँ सूचना की प्रक्रिया करती हैं, वे ज्ञान प्राप्त करते हैं, जो सूचना की गहरी समझ और अनुप्रयोग का प्रतिनिधित्व करता है।

अन्य शब्दों में, हम सभी प्राणियों के विचारों को प्रकट करना ही सूचना है। हम सब सामाजिक प्राणी हैं और मानवीय गतिविधियों से सीधे जुड़े रहते हैं। हमें किसी चीज की आवश्यकता होने पर उसकी शोध की जाती है। जिससे नई परिकल्पनायें जन्म लेती हैं। इन परिकल्पनाओं को तान्त्रिकाओं के माध्यम से मस्तिष्क तक ले जाया जाता है।

मस्तिष्क उन परिकल्पनाओं को विचार का रूप देता है। इस प्रकार नये तथ्य उत्पन्न होते हैं। इन्ही तथ्यों को सूचनाओं के नाम से जाना जाता है। जब हम एक दूसरे से बातें भी करते हैं तो सूचना उत्पन्न होती है। अतः जब मनुष्य विचार करता है तो उसके मस्तिष्क में अनेक सूचनायें इकट्ठी हो जाती हैं। इन्ही सूचनाओं को विभिन्न प्रकार से प्रकट किया जा सकता है। जैसे मौखिक, संकेतों द्वारा, प्रलेखीय स्वरूपों द्वारा, मीडिया द्वारा आदि।

सूचना की परिभाषाएं

हाफमैन के अनुसार– सूचना वक्तव्यों, तथ्यों अथवा आकृतियों का संकलन होती है।

रोवली तथा टोनर के अनुसार, ‘‘सूचना वह आंकड़े हैं जो व्यक्तियों के मध्य से प्रेषित हो सके तथा प्रत्येक व्यक्ति उसका प्रयोग कर सके।’’

जे बीकर ने कहा है कि, सूचना किसी विषय से सम्बंधित तथ्यों को कहते हैं।

एन बैल्किन के अनुसार — सूचना उसे कहते हैं जिसमें आकार को परिवर्तित करने की क्षमता होती है।

जे एच शेर्रा (J.H. Sherra) के अनुसार, ‘‘सूचना का उपयोग जिस रूप में जीव विज्ञान व ग्रन्थावली में करते हैं, उसे तथ्य कहते हैं। यह एक उत्तेजना है, जिसे हम अपनी ज्ञानेन्द्रियों के द्वारा प्रस्तुत करते हैं। यह एक प्रकार का तथ्य हो सकता है अथवा तथ्यों का सम्पूर्ण समूह हो सकता है तथापि (यह इकाइ होता है), यह विचारधारा की एक ईकाई होता है।’’

बर्नर ने कहा है कि, बाह्य जगत के साथ जो विनियम होता है तथा जब हम इसके साथ सामंजस्य स्थापित करते हैं और अप ने सामंजस्य के जिस पर अनुभव करते हैं, उसकी विषय वस्तु के नाम को सूचना कहते हैं। सक्रियता एवं प्रभावशाली ढंग से जीवन का अभिप्रायही सूचना के साथ जीना है।

हॉफ मैन के विचारों में, ‘‘सूचना वक्तव्यों, तथ्यों तथा आकृतियों का संकलन होता है।’’

बेल के अनुसार, ‘‘सूचना समचारों, तथ्यों, आकडों, प्रतिवेदनों, अधिनियमों कर सहिताओं, न्यायिक निर्णयों, प्रस्तावों और इसी तरह की अन्य चीजों से सम्बन्धित होती हैं।’’

ऊपर दी गईं परिभाषाओं से हमें ज्ञात होता है कि आखिर सूचना क्या होती है। सूचना की कुछ विशेषताएं भी होती हैं जो निम्न हैं-

सूचना की विशेषताएं (Characteristics of Information)

सूचना में कई प्रमुख विशेषताएँ होती हैं जो इसके मूल्य और उपयोगिता में योगदान करती हैं। इन विशेषताओं को समझने से सूचना के प्रभावी ढंग से प्रसंस्करण, मूल्यांकन और उपयोग में मदद मिल सकती है। जानकारी की कुछ महत्वपूर्ण विशेषताएं यहां दी गई हैं:

  • सटीकता: जानकारी विश्वसनीय डेटा और तथ्यों पर आधारित होनी चाहिए। यह त्रुटियों, विकृतियों या पूर्वाग्रहों से मुक्त होना चाहिए। सटीकता यह सुनिश्चित करती है कि जानकारी मामलों की सही स्थिति को दर्शाती है और निर्णय लेने और समझने के लिए उस पर भरोसा किया जा सकता है।
  • प्रासंगिकता: जानकारी प्रासंगिक होनी चाहिए और विशिष्ट विषय, समस्या या संदर्भ के लिए उपयुक्त होनी चाहिए। इसे पूछे जाने वाले प्रश्नों को संबोधित करना चाहिए या अंतर्दृष्टि प्रदान करनी चाहिए जो सीधे विषय वस्तु से संबंधित हैं।
  • पूर्णता: पूर्ण जानकारी विषय या मुद्दे की व्यापक और गहन समझ प्रदान करती है। इसमें विषय को पूरी तरह से समझने के लिए आवश्यक सभी प्रासंगिक पहलू, विवरण या तत्व शामिल हैं। अधूरी जानकारी से समझ और निर्णय लेने में अंतराल हो सकता है।
  • समयबद्धता: समयोचित सूचना अप-टू-डेट और अद्यतन होती है। यह वर्तमान क्षण के लिए प्रासंगिक है और विषय वस्तु में नवीनतम विकास या परिवर्तनों को दर्शाता है। समयबद्धता यह सुनिश्चित करती है कि सूचना तेजी से विकसित हो रही दुनिया में प्रासंगिक और सटीक बनी रहे।
  • स्पष्टता: स्पष्ट जानकारी संक्षिप्त, समझने योग्य और असंदिग्ध तरीके से प्रस्तुत की जाती है। यह अनावश्यक शब्दजाल, जटिलता या भ्रम से बचा जाता है। स्पष्टता व्यक्तियों को जानकारी को सटीक और प्रभावी ढंग से समझने और व्याख्या करने की अनुमति देती है।
  • वस्तुनिष्ठता: वस्तुनिष्ठ जानकारी व्यक्तिगत पूर्वाग्रहों, मतों या व्यक्तिपरक व्याख्याओं से मुक्त होती है। यह किसी विशेष परिप्रेक्ष्य का पक्ष लिए बिना तथ्यों और साक्ष्यों को प्रस्तुत करता है। निष्पक्षता सूचना की विश्वसनीयता और विश्वसनीयता को बढ़ाती है।
  • संगति: लगातार जानकारी विभिन्न स्रोतों या तत्वों में सुसंगत और सामंजस्यपूर्ण होनी चाहिए। इसे स्वयं का खंडन नहीं करना चाहिए या परस्पर विरोधी डेटा या व्याख्याएं प्रस्तुत नहीं करनी चाहिए। संगति सुनिश्चित करती है कि जानकारी विश्वसनीय है और निर्णय लेने के लिए उस पर भरोसा किया जा सकता है।
  • अभिगम्यता: सुगम्य जानकारी को खोजना, पुनः प्राप्त करना और समझना आसान है। इसे एक ऐसे प्रारूप में प्रस्तुत किया जाता है जो अभीष्ट दर्शकों के लिए उपयुक्त है और उपयुक्त चैनलों या प्लेटफार्मों के माध्यम से पहुँचा जा सकता है। अभिगम्यता सुनिश्चित करती है कि जानकारी का प्रभावी ढंग से उपयोग किया जा सकता है।
  • प्रामाणिकता: प्रामाणिक जानकारी विश्वसनीय और विश्वसनीय स्रोतों से प्राप्त की जाती है। यह सत्यापन योग्य है और इसकी उत्पत्ति का पता लगाया जा सकता है। प्रामाणिक जानकारी भरोसेमंद होती है और गलत या भ्रामक डेटा पर भरोसा करने के जोखिम को कम करती है।
  • प्रयोज्यता: प्रयोग करने योग्य जानकारी व्यावहारिक और लागू होती है। समस्याओं को हल करने, निर्णय लेने या अंतर्दृष्टि प्राप्त करने के लिए इसका प्रभावी ढंग से उपयोग किया जा सकता है। प्रयोज्यता एक महत्वपूर्ण विशेषता है क्योंकि यह सूचना के मूल्य और प्रभाव को निर्धारित करती है।

हर एक सूचना का एक मूल्य होता है। सूचना के इस मूल्य को कई कारक प्रभावित करते हैं। यही कारक सूचना की विशेषताओं के नाम से जाने जाते हैं।

सूचना के स्तर (Levels of Information)

सूचनाएं कभी भी एक व्यक्ति या चंद व्यक्तिओं से सम्बंधित नहीं हो सकतीं। अर्थात सूचना अलग व्यक्तिओं, देशों आदि से सम्बंधित हो सकती है। सूचनाएं अलग अलग स्तर पर होती हैं। किसी भी संगठन में अलग-अलग स्तर पर सूचनाओं का आदान-प्रदान हो सकता है। सूचना के कुछ स्तर निचे दिए गए हैं-

1. अंतर्राष्ट्रीय सूचना

  • बड़ी-बड़ी कम्पनियां देश-विदेश में व्यापार करती हैं।
  • उन्हें अपना व्यापार स्थापित करने के लिए अलग-अलग देशों के लोगों और उनके स्वाद की जानकारियों की जरुरत होती है।
  • सूचनाएं उनको अलग अलग स्त्रोतों से मिल जाती हैं।
  • और वो इन सूचनाओं का इस्तेमाल करते हैं।
  • विश्वविद्यालयों, बड़े व्यापारियों और शैक्षिक संस्थानों द्वारा ये सूचनाएं इस्तेमाल की जाती हैं।

2. राष्ट्रीय सूचना

  • राष्ट्रीय सूचना एक देश की सीमाओं में बेहद महत्त्वपूर्ण होती हैं।
  • राष्ट्रीय सूचना के स्त्रोत हैं – शैक्षिक या व्यापारिक मैगज़ीन, टी वी पर आधारित प्रोग्राम, अनेक प्रकार के रिव्यूस या समाचार पत्रों में प्रकाशित लेख आदि।

3. कॉर्पोरेट सूचना

  • इस प्रकार की सूचना संगठनों आदि के वारे में होती है।
  • इस सूचना को निवेशकों और विद्यार्थिओं तक पहुंचाया जाता है।

4. डिपार्टमेंटल सूचना

  • किसी भी व्यवसाय या संगठन को सफल बनाने के लिए उसमें अनेक योजनाएं बनायीं जाती हैं।
  • इन योजनाओं को फिर व्यवसाय के विभागों में बाँट दिया जाता है।
  • इस तरह वह व्यवसाय अपने लक्ष्यों को पूरा कर पाते हैं।

5. व्यक्तिगत सूचना

  • इन सूचना में संगठन या व्यवसाय के अंदर काम कर रहे स्टाफ या कर्मचारियों की सूचना शामिल है।
  • इसमें व्यक्ति का अनुभव, वेतन का स्तर, वैवाहिक स्तर आदि शामिल हैं।
ज्ञान क्या है

ज्ञान क्या है?

ज्ञान से तात्पर्य उस समझ, जागरूकता और परिचितता से है जो व्यक्तियों या संस्थाओं के पास तथ्यों, सूचनाओं, कौशलों, अवधारणाओं या अनुभवों के बारे में होती है। यह मात्र जानकारी से परे है और इसमें गहन स्तर की समझ बनाने के लिए सूचना का आंतरिककरण और एकीकरण शामिल है। ज्ञान को सीखने, तर्क करने और व्यावहारिक संदर्भों में सूचना के अनुप्रयोग के माध्यम से आकार दिया जाता है।

  • ज्ञान शब्द ज्ञ धातु से बना है जिसका मतलब है जानना।
  • अन्य शब्दों में कहा जाए तो वस्तु जैसी है उसका अनुभव या बोध होना ही ज्ञान है।
  • आज हम जो बातें जानते हैं उन्हें ही ज्ञान समझ लेते हैं। ज्ञान की श्रेणी इस सब से अलग है।
  • ज्ञान को बहुमूल्य रत्नों से भी अधिक मूल्यवान कहा गया है।
  • ज्ञान का शाब्दिक अर्थ किसी भी विषय को पूरी तरह से समझना, उसका पूरा अनुभव करना और समय आने पर उसका उचित रूप से प्रयोग करना है।

अर्थात ज्ञान से अभिप्राय किसी भी विषय को पूरी तरह से समझने, उसका अनुभव करने तथा समय आने पर उसका प्रयोग करने से है। ज्ञान एक प्रकार का विश्वास है जिसे सत्य के रूप में स्वीकार किया गया है। ज्ञान हर प्रकार से अर्जित किया जा सकता है जैसे कि सुनकर, या देखकर, समझकर या अनुभवों के द्वारा। ज्ञान से मतलब किसी भी चीज या वस्तु के बारे में सही या पूर्ण जानकारी से ही है।

प्लेटो के अनुसार– “विचारों की दैवीय व्यवस्था और आत्मा-परमात्मा के स्वरुप को जानना ही सच्चा ज्ञान है।”

शब्द कोष में भी ज्ञान के अनेक अर्थ बताये गए हैं जो इस प्रकार हैं –

1. सूचना के रूप में ज्ञान:

किसी भी प्रकार की जानकारी या सूचना जो पूर्ण हो वह ज्ञान है।

2. अधिगम के रूप में ज्ञान:

स्वयं के अनुभवों तथा प्रशिक्षण के द्वारा प्राप्त किया गया अधिगम ज्ञान कहलाता है।

3. निश्चित विशवास:

अपने अनुभवों और चिंतन के आधार पर व्यक्ति के जो विश्वास बन जाते हैं, वही ज्ञान है।

4. ज्ञात

जो ज्ञात है अर्थात जो जाना हुआ है, वही ज्ञान है।

5. प्रबोधन

इसके अनुसार जिसका बोध हो गया हो, वही ज्ञान है।

अधोलिखित के अनुसार कहा जा सकता है कि जीवन, संसार, आत्मा, परमात्मा, आदि के विषय में जो ज्ञात है, प्रकाशित है, सूचित है तथा अपने अध्यन और अनुभवों के आधार पर जो विश्वास हमने बनाये हैं वह सब ज्ञान हैं।

मनुष्य विचारशील प्राणी है। मनुष्य के मनन करने पर उसके पूर्व विश्वास टूट जाते हैं और नए विश्वास बनने लगते हैं। अब वह जीवन के बारे में नए निष्कर्ष निकालने लगता है। इस तरह बने हुए नए विश्वास और निष्कर्ष भी ज्ञान हैं।

ज्ञान की प्रकृति (स्वरुप)

Knowledge अथवा ज्ञान की प्रकृति को ज्ञान की विशेषताओं के माध्यम से समझना आसान है। ज्ञान की विशेषताओं को समझने के लिए ज्ञान के सिद्धान्त भी पता होने जरूरी हैं।

ज्ञान की विशेषताएँ व प्रकृति इस प्रकार हैं-

  • ज्ञान व्यक्ति के अनुभवों का परिणाम है।
  • बुद्धि को ज्ञान का स्त्रोत कहा गया है। बुद्धि द्वारा ही इसको को प्राप्त किया जा सकता है।
  • ज्ञानेन्द्रियाँ ही नॉलेज प्राप्ति का साधन होती हैं।
  • यह व्यक्ति के अंतःकरण को प्रकाशित करता है।
  • दरअसल इसका संबंध व्यक्ति द्वारा अपने व दूसरों के अनुभवों के आधार पर विकसित विश्वासों के साथ होता है।
  • विभिन्न विषयों से संबंधित सूचनाएं या जानकारियां भी ज्ञान का अभिन्न अंग होती हैं।
  • ज्ञान कभी भी समाप्त नहीं हो सकता।
  • यह सत्य तक पहुँचने का एक रास्ता या साधन है।
  • ज्ञान दरअसल धन की तरह होता है। यह जितना एक मनुष्य को प्राप्त होता है, उतना ही ज्यादा पाने की इच्छा करता है।
  • इसकी कोई सीमा नहीं होती।
  • यह हमेशा बढ़ता ही रहता है, अतः यह अचानक से नहीं मिल जाता।

ज्ञान तथा सूचना में अंतर

ज्ञानसूचना
ज्ञान एक विस्तृत अवधारणा है।सूचना ज्ञान के सामान विस्तृत अवधारणा नहीं है अथवा संक्रीर्ण अवधारणा है।
ज्ञान सिर्फ आंकड़े और तथ्य नहीं है।सूचना में सिर्फ आंकड़े और तथ्य होते हैं।
ज्ञान के अंतर्गत तथ्यों कि जानकारी को अर्थपूर्ण स्तर तक जानना आवश्यक है।सूचना के अंतर्गत तथ्यों कि जानकारी आवश्यक नहीं है।
ज्ञान प्राप्ति कि प्रकिर्या में मानसिक परिवर्तन और मानसिक वृद्धि होती है।सूचना प्राप्ति में किसी भी प्रकार के मानसिक परिवर्तन तथा मानसिक वृद्धि नहीं होती।
सूचना प्रसंस्करण, संगठन और प्रासंगिकता के माध्यम से डेटा से प्राप्त होती है। यह कच्चे तथ्यों और आंकड़ों को सार्थक और समझने योग्य रूप में बदलने का परिणाम है।ज्ञान सूचना से परे जाता है और इसमें गहरे स्तर की समझ शामिल होती है। यह जानकारी को आंतरिक और एकीकृत करने का परिणाम है, इसे मौजूदा ज्ञान ढांचे या मानसिक मॉडल से जोड़ता है।
सूचना को विभिन्न स्वरूपों में प्रस्तुत किया जा सकता है, जैसे लिखित पाठ, दृश्य प्रतिनिधित्व, ऑडियो रिकॉर्डिंग या डिजिटल मीडिया। इसे अक्सर आसान समझ और पहुंच के लिए संरचित, वर्गीकृत और व्यवस्थित किया जाता है।समस्याओं को हल करने, निर्णय लेने या कार्य करने के लिए ज्ञान का उपयोग किया जाता है। यह व्यावहारिक है और इसका उपयोग विशिष्ट स्थितियों या चुनौतियों का समाधान करने के लिए किया जा सकता है।
सूचना का उद्देश्य तथ्यों, अंतर्दृष्टि या संदेशों को संप्रेषित करना है। यह किसी विशिष्ट विषय या विषय वस्तु पर उत्तर, विवरण, स्पष्टीकरण या अपडेट प्रदान करने के लिए संप्रेषित किया जाता है।ज्ञान एक विशिष्ट संदर्भ या डोमेन के भीतर स्थित है। यह व्यक्तिगत अनुभवों, विशेषज्ञता, विश्वासों और गंभीर रूप से विश्लेषण और जानकारी को संश्लेषित करने की क्षमता से प्रभावित है।
डेटा संग्रह, अनुसंधान, अवलोकन या डेटा विश्लेषण के माध्यम से सूचना प्राप्त की जा सकती है। इसे अक्सर विभिन्न स्रोतों से प्राप्त किया जाता है, जैसे किताबें, लेख, डेटाबेस या डिजिटल प्लेटफॉर्म।ज्ञान में विभिन्न सूचनाओं और अवधारणाओं का एकीकरण शामिल है। यह समग्र समझ बनाने के लिए सूचनाओं के विभिन्न टुकड़ों को जोड़ता है और विभिन्न संदर्भों में ज्ञान के हस्तांतरण और अनुप्रयोग को सक्षम बनाता है।
विश्वसनीय जानकारी सटीक डेटा और भरोसेमंद स्रोतों पर आधारित होती है। इसकी सटीकता और विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए यह सत्यापन, सत्यापन और गुणवत्ता नियंत्रण प्रक्रियाओं से गुजरता है।ज्ञान गतिशील है और निरंतर सीखने, प्रतिबिंब और अनुभव के माध्यम से इसका विस्तार किया जा सकता है। यह समय के साथ विकसित होता है क्योंकि लोग नई जानकारी प्राप्त करते हैं, संबंध बनाते हैं और अपनी समझ को परिष्कृत करते हैं।

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