
Sanskrit Micro Skills Lesson Plans: जैसा कि आप जानते हैं, पाठ योजनाएं शिक्षकों के लिए निर्देशों के पाठ्यक्रम या “सीखने के पथ” का विस्तृत विवरण हैं। कक्षा सीखने का मार्गदर्शन करने के लिए शिक्षकों द्वारा दैनिक आधार पर पाठ योजनाएँ विकसित की जाती हैं।
INTRODUCTION (Sanskrit Micro Skills Lesson Plans)
विवरण में जाने से पहले, आइए पहले यह स्थापित करें कि सूक्ष्म-शिक्षण क्या आवश्यक है। माइक्रोटीचिंग एक शिक्षण तकनीक है जहां शिक्षक अपने पाठों को छोटे खंडों में तोड़ते हैं, जिससे उन्हें विशिष्ट कौशल और शिक्षण के पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करने की अनुमति मिलती है। इन छोटे भागों को ज़ूम करके, शिक्षक अपनी क्षमताओं को परिष्कृत कर सकते हैं और अपने समग्र शिक्षण प्रदर्शन को बढ़ा सकते हैं।
सूक्ष्म शिक्षण पाठ योजनाएँ इस प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। वे शिक्षकों को उनके सूक्ष्म पाठों के दौरान पालन करने के लिए एक रोडमैप प्रदान करते हैं, यह सुनिश्चित करते हुए कि सभी आवश्यक तत्व शामिल हैं और विशिष्ट शिक्षण उद्देश्यों को पूरा किया जाता है। एक अच्छी तरह से डिज़ाइन की गई पाठ योजना शिक्षकों को एक अनुकूल सीखने का माहौल बनाने में सक्षम बनाती है जो छात्र जुड़ाव, भागीदारी और प्रभावी कक्षा प्रबंधन को बढ़ावा देती है।
विवरण शिक्षकों की वरीयता, कवर किए जा रहे विषय और छात्रों की जरूरतों के आधार पर भिन्न हो सकते हैं।
यहां हम प्रस्तुत करने के लिए संस्कृत लेसन प्लान (Sanskrit Micro Skills) प्रस्तुत करते हैं। यह शिक्षकों और B.Ed/B.El.Ed छात्रों के लिए उपयोगी है। यह संस्कृत फाइनल लेसन प्लान सभी शिक्षकों और जामिया, एमडीयू, सीआरएसयू, डीयू, इग्नू, आईपीयू, आदि जैसे कई विश्वविद्यालयों के बी.एड/डी.ईएल.एड उम्मीदवारों के लिए फायदेमंद है।
आप इस संस्कृत पाठ योजना (Sanskrit Micro Skills) को ब्राउज़ कर सकते हैं और नीचे दिए गए लिंक से पीडीएफ भी डाउनलोड कर सकते हैं।
हमने एक Sanskrit Micro Skills योजना प्रारूप प्रदान किया है, जो आपको पाठ योजनाओं के पैटर्न को समझने में मदद करेगा और साथ ही सामग्री, शीर्षकों को आपको अपनी पाठ योजनाओं में जोड़ने की आवश्यकता होगी।
इस आर्टिकल में 5 Sanskrit Micro Skills (सूक्ष्म पाठ योजनाएं) प्रदान की गयीं हैं। ये माइक्रो स्किल्स नवीनतम सिलेबस के आधार पर बनायीं गयी हैं और आपको सूक्ष्म पाठ योजनाओं के पैटर्न को समझने में मदद करेंगी।
इस आर्टिकल में प्रदान की गयी पाठ योजनाएं इस प्रकार से हैं –
- प्रस्तावना कौशल
- व्याख्या कौशल
- उद्दीपन परिवर्तन कौशल
- प्रश्न कौशल
- उदाहरण कौशल
Sanskrit Micro Skills
1. प्रस्तावना कौशल (Sanskrit Micro Skills)
छात्राध्यापक का नाम – ग्रुप ऑफ़ टूटोरस | कक्षा – 7वी |
विषय – संस्कृत | अवधि – 6 मिनट |
उपविषय – संधि (यण संधि) | दिनांक- 27 मई, 2022 |
स्थान – नई दिल्ली |
छात्राधापिका/छात्राध्यापक क्रियाएं | छात्र क्रियाएं |
---|---|
प्रश्न 1: बच्चो एक से अधिक वर्णों के मेल को क्या कहते हैं? | उत्तर: संधि। |
प्रश्न 2: संधि कितने प्रकार की होती है? | उत्तर: तीन प्रकार की होती है। |
प्रश्न 3: तीन प्रकार की संधियों के नाम बताइये। | उत्तर: स्वर संधि, व्यंजन संधि, और विसर्ग संधि। |
प्रश्न 4: स्वर संधि कितने प्रकार की होती है? | उत्तर: पांच प्रकार की। |
प्रश्न 5: स्वर संधि के पाँचों प्रकारों के नाम बताओ। | उत्तर: यण संधि, गुण संधि, अयादि संधि , दीर्घ संधि और वृद्धि संधि। |
प्रश्न 6: यण संधि के विषय में आप क्या जानते हैं? | उत्तर: समस्यात्मक प्रश्न। |
प्रश्न 7: यण संधि किसे कहते हैं? | उत्तर: इक प्रत्याहार के परे यण आदेश होता है। |
प्रश्न 8: यण संधि का सूत्र क्या है? | उत्तर: ‘इको यणचि’ |
प्रश्न 9: ‘इको यणचि’ सूत्र का क्या अर्थ है? | उत्तर: इक् प्रत्याहार के होने पर इक् (इ, उ, ऋ, लृ) के स्थान पर क्रमशः कोई और स्वर होता तो उनके स्थान पर यण प्रत्याहार (य्, व्, र्, ल्) हो जाता है। |
प्रश्न 10: यण संधि का कोई एक उदाहरण बताओ। | उत्तर: यद्पि = यदि + अपि (इ+अ) |
प्रश्न 11: बच्चो आज हम यण संधि के बारे में आगे चर्चा करेंगे। | उत्तर: जी महोदय। |
प्रस्तावना कौशल के घातक और रेटिंग स्केल
क्रम संख्या एवं व्यवहारिक घटक | कमजोर | संतोषजनक | अच्छा | बहुत अच्छा | उत्तम |
---|---|---|---|---|---|
1. विद्यार्थियों के पूर्व ज्ञान का अनुमान | 1 | 2 | 3 | 4 | 5 |
2. विद्यार्थियों के पूर्व ज्ञान का परिक्षण | 1 | 2 | 3 | 4 | 5 |
3. विद्यार्थियों के पूर्व ज्ञान व पाठय विषयों में सम्बन्ध | 1 | 2 | 3 | 4 | 5 |
4. उद्देश्य कथन | 1 | 2 | 3 | 4 | 5 |
5. उचित विधियों का प्रयोग | 1 | 2 | 3 | 4 | 5 |
6. निरंतरता | 1 | 2 | 3 | 5 | 5 |
7. शाब्दिक अतार्किक व्यवहार की उपयुक्तता | 1 | 2 | 3 | 4 | 5 |
8. स्पष्टता | 1 | 2 | 3 | 4 | 5 |
9. बोध्गम्यता | 1 | 2 | 3 | 4 | 5 |
NOTE: पाठ योजना के संदर्भ में, परिचय का कौशल छात्रों को एक पाठ को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करने की क्षमता को संदर्भित करता है। एक सुनियोजित और क्रियान्वित परिचय पाठ के लिए टोन सेट करता है, छात्रों का ध्यान आकर्षित करता है, और उन्हें इस बात का अवलोकन प्रदान करता है कि वे क्या सीखेंगे।
2. व्याख्या कौशल (Sanskrit Micro Skills)
छात्राध्यापक का नाम – ग्रुप ऑफ़ टूटोरस | कक्षा – 7वी |
विषय – संस्कृत | अवधि – 6 मिनट |
उपविषय – गीता श्लोक | दिनांक- 27 मई, 2022 |
स्थान – नई दिल्ली |
छात्राधापिका/छात्राध्यापक क्रियाएं | छात्र क्रियाएं |
---|---|
बच्चो आज हम गीता के कुछ श्लोकों का अर्थ सहित चिंतन करेंगे। | जी महोदय। |
यो न हृष्यति न द्वेष्टि न शोचति न काङ् क्षति | शुभाशुभपरित्यागी भक्तिमान्य: स मे प्रिय: || | छात्र ध्यान पूर्वक सुन रहे हैं। |
व्याख्या : जो न कभी हर्षित होता है, न द्वेष करता है, न शोक करता है, न कामना करता है तथा जो शुभ और अशुभ सम्पूर्ण कर्मों का त्यागी है- वह भक्तियुक्त पुरुष मुझको प्रिय है॥ | छात्र ध्यान पूर्वक सुन रहे हैं। |
कस्माच्च ते न नमेरन्महात्मन्ग रीयसे ब्रह्मणोऽप्यादिकर्त्रे। अनन्त देवेश जगन्निवास त्वमक्षरं सदसत्तत्परं यत्।। | छात्र ध्यान पूर्वक सुन रहे हैं। |
व्याख्या : हे महात्मन् ! गुरुओंके भी गुरु और ब्रह्माके भी आदिकर्ता आपके लिये (वे सिद्धगण) नमस्कार क्यों नहीं करें? क्योंकि हे अनन्त ! हे देवेश ! हे जगन्निवास ! आप अक्षरस्वरूप हैं; आप सत् भी हैं, असत् भी हैं, और सत्-असत् से पर भी जो कुछ है, वह भी आप ही हैं। | छात्र ध्यान पूर्वक सुन रहे हैं। |
कर्मेन्द्रियाणि संयम्य य आस्ते मनसा स्मरन् । इन्द्रियार्थान्विमूढात्मा मिथ्याचारः स उच्यते ॥ | छात्र ध्यान पूर्वक सुन रहे हैं। |
व्याख्या : जो अपनी कर्मेन्द्रियों के बाह्य घटकों को तो नियंत्रित करते हैं लेकिन मन से इन्द्रियों के विषयों का चिन्तन करते हैं, वे निःसन्देह स्वयं को धोखा देते हैं और पाखण्डी कहलाते हैं। | जी महोदय। |
Note: पाठ योजना के संदर्भ में व्याख्या करने के कौशल का अर्थ छात्रों को स्पष्ट, संक्षिप्त और समझने योग्य तरीके से जानकारी, अवधारणाओं या प्रक्रियाओं को संप्रेषित करने की क्षमता से है। विद्यार्थियों की समझ और सीखने की सुविधा के लिए प्रभावी व्याख्या महत्वपूर्ण है।
3. उद्दीपन परिवर्तन कौशल (Sanskrit Micro Teaching Skills)
छात्राध्यापक का नाम – ग्रुप ऑफ़ टूटोरस | कक्षा – 8वी |
विषय – संस्कृत | अवधि – 6 मिनट |
उपविषय – महाभारत (पात्र परिचय) | दिनांक- 27 मई, 2022 |
स्थान – नई दिल्ली |
छात्राधापिका/छात्राध्यापक क्रियाएं | छात्र क्रियाएं |
---|---|
प्रश्न 1: बच्चो कल हम गीता पर चर्चा कर रहे थे, अब मुझे ये बताओ कि महाभारत नामक ग्रन्थ किसने लिखा? | उत्तर: वेदव्यास जी ने। |
प्रश्न 2: महाभारत कि लड़ाई किनके बीच हुई थी? | उत्तर: कौरवों और पांडवों के बीच।। |
प्रश्न 3: कौरवों और पांडवों के बीच क्या सम्बन्ध था? | उत्तर: कौरव और पांडव भाई भाई थे। |
प्रश्न 4: पांडव कितने भाई थे और उनकी पत्नियों का क्या नाम था? | उत्तर: पांडव पांच भाई थे और ऊब पाँचों की एक ही पत्नी थी जिसका नाम द्रोपदी था। |
प्रश्न 5: महाभारत का युद्ध क्यों हुआ था? | उत्तर: क्योंकि कौरवों ने पांडवों के साथ अन्याय व अधर्म किया था। |
प्रश्न 6: महाभारत पे पांचाली किसे कहा जाता है? | उत्तर: द्रोपदी को। |
प्रश्न 7: महाभारत का युद्ध कहाँ हुआ था? | उत्तर: कुरुक्षेत्र की युद्ध भूमि पर हुआ था। |
प्रश्न 8: महाभारत का युद्ध कितने दिन चला था ? | उत्तर: कोई उत्तर नहीं। |
कोई बात नहीं बच्चो आगे चलते हैं। | |
प्रश्न 9: महाभारत को पहले किन किन नामों से जाना जाता था ? | उत्तर: जय , भारत और अंत में महाभारत। |
प्रश्न 10: महाभारत में किसकी जीत हुई थी और क्यों? | उत्तर: महाभारत के युद्ध में पांडवों की जीत हुई थी क्योंकि उनके पक्ष में धर्म था। |
परिवर्तन उद्दीपन कौशल के घातक और रेटिंग स्केल
क्रम संख्या एवं व्यवहारिक घटक | कमजोर | संतोषजनक | अच्छा | बहुत अच्छा | उत्तम |
---|---|---|---|---|---|
1. संचलन | 1 | 2 | 3 | 4 | 5 |
2. हाव भाव | 1 | 2 | 3 | 4 | 5 |
3. वाक् स्वरुप परिवर्तन | 1 | 2 | 3 | 4 | 5 |
4. केंद्रण | 1 | 2 | 3 | 4 | 5 |
5. अन्तः क्रियाशैली परिवर्तन | 1 | 2 | 3 | 4 | 5 |
6. मौन विराम | 1 | 2 | 3 | 5 | 5 |
7. मौखिक दृश्य परिवर्तन | 1 | 2 | 3 | 4 | 5 |
8. विद्यार्थी का क्रियात्मक सहयोग | 1 | 2 | 3 | 4 | 5 |
4. प्रश्न कौशल (Sanskrit Micro Teaching Skills)
छात्राध्यापक का नाम – ग्रुप ऑफ़ टूटोरस | कक्षा – 9वी |
विषय – संस्कृत | अवधि – 6 मिनट |
उपविषय – समास | दिनांक- 27 मई, 2022 |
स्थान – नई दिल्ली |
छात्राधापिका/छात्राध्यापक क्रियाएं | छात्र क्रियाएं |
---|---|
प्रश्न 1: दो या दो से अधिक शब्दों के योग को क्या कहते हैं? | उत्तर: समास कहते हैं। |
प्रश्न 2: समास कितने प्रकार के होते हैं? | उत्तर: समास छह प्रकार के होते हैं। |
प्रश्न 3: समास के प्रकारों के नाम बताइये? | उत्तर: अव्यय भाव समास, तत्पुरुष समास, कर्मधारय समास, द्विंद्व समास, द्विगु समास, बहुब्रीहि समास |
प्रश्न 4: आजीवन में अव्यय क्या है? | उत्तर: आ। |
प्रश्न 5: पंचवटी का समास विग्रह कीजिये ? | उत्तर: पंचवटी का समास विग्रह है- पांच वटों (वृक्षों) का समूह। |
प्रश्न 6: बहुब्रीहि समास का उदाहरण कौन सा है? सद्गुण या दशानन। | उत्तर: दशानन। |
प्रश्न 7: अव्ययीभाव समास और तत्पुरुष समास में क्या अंतर है? | उत्तर: अव्ययीभाव समास में पहला पद प्रधान होता है तथा तत्पुरुष समास में दूसरा पद प्रधान होता है। |
प्रश्न 8: द्वन्द समास की क्या वविशेषता है? | उत्तर: इसमें दोनों पद प्रधान होते हैं। |
प्रश्न 9: तत्पुरुष समास का उदाहरण बताइये। | उत्तर: मूर्तिकार, और मांसाहारी। |
प्रश्न 10: कर्मधारय समास और द्विगु समास में क्या अंतर है? | उत्तर: जिस सामासिक पद में पहला या दूसरा पद विशेषण हो उसको कर्मधारय समास कहते हैं। तथा जिस शब्द में पहला पद संख्यावाचक विशेषण हो, वहां द्विगु समास होता है। |
प्रश्न कौशल के घातक और रेटिंग स्केल
क्रम संख्या एवं व्यवहारिक घटक | कमजोर | संतोषजनक | अच्छा | बहुत अच्छा | उत्तम |
---|---|---|---|---|---|
1. प्रश्नों की सार्थकता | 1 | 2 | 3 | 4 | 5 |
2. प्रश्नों की स्पष्टता | 1 | 2 | 3 | 4 | 5 |
3. प्रश्नों की शुद्धता | 1 | 2 | 3 | 4 | 5 |
4. प्रश्नों की व्याख्या | 1 | 2 | 3 | 4 | 5 |
5. प्रश्नों का विवरण | 1 | 2 | 3 | 4 | 5 |
6. व्याकरणिक शुद्धता | 1 | 2 | 3 | 5 | 5 |
7. उत्तर के लिए इच्छुक छात्र | 1 | 2 | 3 | 4 | 5 |
8. उत्तर के लिए अनिच्छुक छात्र | 1 | 2 | 3 | 4 | 5 |
5. उदाहरण कौशल
छात्राध्यापक का नाम – ग्रुप ऑफ़ टूटोरस | कक्षा – 6वी |
विषय – संस्कृत | अवधि – 6 मिनट |
उपविषय – संज्ञा | दिनांक- 27 मई, 2022 |
स्थान – नई दिल्ली |
छात्राधापिका/छात्राध्यापक क्रियाएं | छात्र क्रियाएं |
---|---|
प्रश्न 1: अच्छा बच्चो बताओ इस संसार की प्रत्येक वस्तु किस चीज से जानी जाती है ? | उत्तर: उस वस्तु के नाम से। |
प्रश्न 2: बहुत अच्छे, अब बताओ कि हमें नाम कि आवश्यकता क्यों पड़ती है? | उत्तर: ताकि वस्तु आदि में भेद किया जा सके। |
प्रश्न 3: क्या नाम केवल वस्तुओं के हो होते हैं? | उत्तर: जी नहीं। |
प्रश्न 4: अच्छा बच्चो बताओ किस किस के नाम हो सकते हैं? | उत्तर: नाम व्यक्ति, वस्तु, स्था, जानवर और भाव आदि के हो सकते हैं। |
प्रश्न 5: क्या कोई बता सकता है कि वस्तुओं और अन्य चीजों के नाम को क्या कहा जाता है? | उत्तर: बच्चे चुप हो जाते हैं और कोई जवाब नहीं आता। |
प्रश्न 6: बच्चो वस्तुओं और अन्य चीजों के नाम को संज्ञा कहते हैं। आज हम इसी के बारे में चर्चा करेंगे। | उत्तर: जी महोदय। |
प्रश्न 7: संज्ञा कि परिभाषा क्या है? | उत्तर: जिस शब्द से किसी वस्तु, व्यक्ति, स्थान, जानवर तथा भाव का बोध हो उसे संज्ञा कहते हैं। |
प्रश्न 8: संज्ञा के कितने प्रकार होते हैं? | उत्तर: मुख्य रूप से संज्ञा के तीन प्रकार होते हैं। |
प्रश्न 9: संज्ञा के भेड़ों के नाम बताओ? | उत्तर: व्यक्तिवाचक सबग्य, जातिवाचक संज्ञा, और भाववाचक संज्ञा। |
प्रश्न 10: जातिवाचक संज्ञा कितने प्रकार की होती है ? | उत्तर: दो प्रकार की। |
प्रश्न 11. जातिवाचक संज्ञा के भेड़ों के नाम बताओ ? | उत्तर: द्रव्य वाचक संज्ञा और समूहवाचक संज्ञा। |
प्रश्न कौशल के घातक और रेटिंग स्केल
क्रम संख्या एवं व्यवहारिक घटक | कमजोर | संतोषजनक | अच्छा | बहुत अच्छा | उत्तम |
---|---|---|---|---|---|
1. उदाहरणों की सार्थकता | 1 | 2 | 3 | 4 | 5 |
2. उदाहरणों की सरलता | 1 | 2 | 3 | 4 | 5 |
3. उदाहरणों की रोचकता | 1 | 2 | 3 | 4 | 5 |
4. उदाहरणों की उपयुक्तता | 1 | 2 | 3 | 4 | 5 |
5. माध्यमों की उपयुक्तता | 1 | 2 | 3 | 4 | 5 |
6. विधि या उपागम की उपयुक्तता | 1 | 2 | 3 | 5 | 5 |
7. उदाहरणों की स्पष्टता | 1 | 2 | 3 | 4 | 5 |
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