
मीडिया क्या है: मीडिया क्या है (What is media?) के इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि आखिर मीडिया क्या है औरयह बढ़ते बच्चों और किशोरों पर मीडिया के क्या प्रभाव पड़ते हैं?
यह (मीडिया क्या है) टॉपिक बी एड (B.Ed)प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। मीडिया क्या है के इस आर्टिकल के बाद आप समझ पाएंगे कि मीडिया में कौन कौन सी प्रद्यौगिकियाँ शामिल हैं।
मीडिया क्या है (What is Media)
हम मीडिया शब्द का प्रयोग आमतौर पर करते रहते हैं और इस शब्द को कई बार दूसरों से भी सुनते हैं; मीडिया का अर्थ होता है माध्यम।
अतः जिस भी माध्यम से हम सम्प्रेषण कर सकें, जानकारी जुटा सकें और उस जानकारी को दूसरों तक पंहुचा सकें उसको मीडिया कहा जायेगा।
आज के युग में तकनीकी साधनों का जिस प्रकार से प्रयोग बढ़ता जा रहा है; उसी प्रकार से सम्प्रेषण के माध्यम भी बढ़ गए हैं।
पहले जहाँ सम्प्रेषण के लिए समाचार पत्र इस्तेमाल किये जाते थे; आज उनकी जगह टेलीविज़न, रेडियो, इंटरनेट और मोबाइल फोन ने ले ली है।
इस प्रकार से हमको मीडिया का नया रूप देखने को मिला है जिसके द्वारा आज शिक्षा को भी बहुत सरल बना दिया गया है।
मीडिया का अर्थ (Meaning of media)
जब सम्प्रेषण हेतु किसी तकनीकी माध्यम का प्रयोग किया जाता है तो वह मीडिया कहलाता है; मीडिया शब्द को कई अन्य नामों जैसे- माध्यम, जनमाध्यम तथा बहुमाधयम के नाम से भी जाना जाता है।
माध्यम (medium): इसका प्रयोग सम्प्रेषण हेतु किया जाता है।
जनमाध्यम (mass -media): इस माध्यम में खबरों को जनता तक पहुँचाना या जनता को सुनना शामिल होता है। इसमें जन साधारण तक किसी चीज को सम्प्रेषित करना शामिल होता है। इसके उदहारण हैं – समाचार पत्र, रेडियो तथा टेलीविज़न।
बहुमाधयम (multimedia): इसमें सम्प्रेषण तथा जनसंचार के माध्यम से जनता तक सूचना पहुँचाई जाती है
मीडिया के प्रकार
मीडिया दो प्रकार की होती है-
- मुद्रित मीडिया (Print media)
- अमुद्रित मीडिया (Non-print media)
मुद्रित मीडिया (Print media):
मुद्रित मीडिया में सूचना को प्रिंट करके या छाप कर जनता तक पहुंचाया जाता है। यह कई रूपों में छापी जाती है जैसे-
1. समाचार पत्र (News Paper):
मीडिया के इस माध्यम के द्वारा, हमारे जीवन में, आस पास और देश दुनिया में जो भी घटित हो रहा है उसको जनता तक पहुंचाया जाता है।
हमारे देश में छपने वाले मुख्य संचार पत्रों के नाम इस प्रकार हैं – नवभारत टाइम्स, जनसत्ता, पंजाब केशरी, दैनिक जागरण इत्यादि।
2. शैक्षिक पत्रिकाएं (Educational magazines):
पत्रिकाएं कई प्रकार की होती हैं जिनमें बच्चों, बुजुर्गों और औरतों के लिए छपने वाली पत्रिकाएं शामिल हैं।
कुछ पत्रिकाएं छात्रों अथवा विद्यार्थिओं के लिए भी छापी जाती हैं और उनका प्रयोग अधिकतर शिक्षा के क्षेत्र में किया जाता है।
विद्यार्थिओं के लिए छपने वाली कुछ पत्रिकाओं के नाम हैं- योजना, कुरुक्षेत्र, प्रतियोगिता दर्पण, डाउन टू अर्थ, इंडिया टुडे, द हिन्दू बुक ऑफ़ एडिटोरियल्स इत्यादि।
3. अमुद्रित मीडिया (Non-print media):
मीडिया के इस माध्यम में सूचना को सुनकर तथा देखकर समझा जाता है।
इस मीडिया के माध्यम में छपाई की जरुरत नहीं होती इसलिए इसको अमुद्रित मीडिया कहा जाता है। इसके कुछ उदहारण इस प्रकार हैं –
4. टेलीविज़न (Television):
टेलीविज़न सुचना प्रसारण का ऐसा माध्यम है जिसके द्वारा सूचना को दूरदराज के क्षेत्रों तथा देश-विदेशों तक पहुंचाया जा सकता है।
मीडिया के इस मद्धम में कुछ चैनलों द्वारा सूचना प्रसारित की जाती है। इसके कुछ उदाहरण हैं – NDTV इंडिया, बीबीसी न्यूज़ इत्यादि।
5. रेडियो (Radio):
रेडियो का इस्तेमाल सुचना प्रशारण के लिए काफी लम्बे आरसे से किया जा रहा है तथा इसके द्वारा भी दूरदराज के क्षेत्रों तक सूचना को पहुंचाया जाता है।
6. चलचित्र (Cinema):
विज्ञान और तकनिकी के क्षेत्र में हुई प्रगति ने अध्यापको को भी अनेक वस्तुएं प्रदान की हैं; और अगर इन वस्तुओं का सही से इस्तेमाल किया जाए तो शिक्षा के क्षेत्र में बहुत कुछ बदलाव लाये जा सकते हैं।
चलचित्र ऐसा ही एक माद्यम है जो लोगो को बहुत प्रभावित करता है।
इसके आलावा और भी कई प्रकार के मीडिया हैं जिनका प्रयोग आज के समय में और साथ ही साथ शिक्षा में भी अच्छे तरीके से किया जाता है।
मीडिया की आवश्यकताएं (Needs of media) :
आज के युग में तकनिकी का उपयोग जोरो पर है वहीँ मीडिया की भी आवश्यकता बहुत अधिक बढ़ गयी है; बढ़ती हुए मीडिया की आवश्यकता का प्रभाव शिक्षा के क्षेत्र पर भी पड़ा है।
मीडिया की आवश्यकता को इन बिंदुओं से समझा जा सकता है-
1. प्रेरणा (Inspiration):
मीडिया के द्वारा दिखाए गए कार्यक्रम या ख़बरों से बच्चों, युवाओं और बड़ों को बहुत प्रेरणा मिलती है; किसी भी व्यक्ति के जीवन के वारे में जानकार लोग उससे प्रेरणा लेते हैं और अपने जीवन में सुधार करते हैं।
2. सीखने का उपयुक्त माध्यम (Suitable source of learning):
मीडिया नयी चीजें सीखने में मदद करती है तथा इसको देखकर बच्चे नयी नयी चीजें सीखते हैं और उनको करने का प्रयास भी करते हैं।
इसके द्वारा इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के द्वारा सीखने की प्रकिर्या सरल बना दी गयी है जिससे व्यक्ति की सीखने की तत्परता बढ़ती है।
3. स्वयं के द्वारा सीखना (Self learning):
बच्चा जब मीडिया के माध्यम से कुछ नया देख लेता है तो वह खुद उस कार्य को करना आरम्भ कर देता है तथा अध्यन के द्वारा खुद ही सीख जाता है।
4. समय सुविधा (Convenience) :
व्यक्ति अपने समय और सुविधा के अनुसार कभी भी सीख सकता है; इस तरह व्यक्ति अपने समय अनुसार सीख सकता है तथा वह जानकार दूसरों को भी दे सकता है।
5. वैज्ञानिक तकनीक या शोध एवं परिक्षण (Research and testing):
प्रयोगों से शोध एवं परिक्षण करना सुलभ हो गया है तथा सभी जानकारियां घर बैठे प्राप्त की जा सकती हैं; जाहिर है मीडिया भी विज्ञान की दें है और आगे वैज्ञानिक तकनीक के लिए भी ये आवश्यक है जिसके द्वारा नयी खोज भी की जा सकती हैं।
बढ़ते बालकों व किशोरों पर मीडिया का प्रभाव (Impact of media on adolescents)
मीडिया का बालकों और किशोरों के विकास पर बहुत प्रभाव पड़ता है; बालकों और किशोरों पर पड़ने वाले ये प्रभाव सकारात्मक तथा नकारात्मक दोनों हो सकते हैं।
जहाँ एक तरफ मीडिया द्वारा दिखाई गयी अच्छी और ज्ञानवर्धक चीजों को बच्चा सीखता है और अपने कौशल का विकास करता है; वहीँ दूसरी तरह मीडिया द्वारा दिखाई जाने वाले चीजें जैसे- हिंसा, कामुकता, अनुचिंत तथा अपमानजनक भाषा को देखकर व्यक्ति के जीवन पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
इसी तरह के कुछ सकारात्मक और नकारात्मक पहलु नीचे दिए गए हैं-
मीडिया के सकारात्मक तथा नकारात्मक पहलु:
1. शिक्षा ( Education)
टेलेविज़न का इस्तेमाल एक शक्तिशाली ज्ञानवर्धक माध्यम के रूप में किया जा सकता है।
टेलीविज़न पर शैक्षिक कार्यक्रम दिखा कर बच्चों को सरल गणित, सामान्य ज्ञान, वर्णमाला, दूसरों के प्रति दया तथा सद्भावना सिखाई जा सकती है।
टेलीविज़न पर दिखाए गए कई कार्यक्रम शिक्षा के क्षेत्र में सुधार हेतु इस्तेमाल किये जा सकते हैं।
2. हिंसा (Violence)
वयस्कों से लेकर बालकों तक सभी में टेलीविज़न के कार्यक्रम बहुत लोकप्रिय होते हैं; प्रसारित होने वाले कार्यक्रमों में मसाला डाला जाता है ताकि उस कार्यक्रम की लोकप्रियता बढ़ जाये।
लोकप्रियता को बढ़ाने के लिए कार्यक्रम में हिंसा, रोमांस तथा बलात्कार आदि जैसी चीजें परोस दी जाती हैं।
इन्ही कार्यक्रम में दिखाए गयी चीजों को व्यक्ति करने लगता है या करने का प्रयत्न करता है जिससे किशोरों और बालकों में हिंसा का भाव पाया जाने लगा है।
3. पोषण (Nutrition)
टेलीविज़न पर खाद्य पदार्थों के लाभ बताये जाते हैं जिन्हेँ देख कर बालक उनकी और आकर्षित होते हैं।
इन खाद्य पदार्थों में ज्यादातर पदार्थ ऐसे होते हैं जो बालक के स्वस्थ के लिए हानिकारक होते हैं और उनको खराब स्वस्थ और मोटापे की और ले जाते हैं।
4. लैंगिंगकता (Sexuality)
टेलीविज़न की दुनिया अब किसी से छुपी नहीं है; किसी भी कार्यक्रम में अश्लील चीज़ें दिखना तह है।
इस जानकारी को बच्चे तथा बड़े सभी देखते हैं।
बच्चो के जीवन पर इसके नकारात्मक प्रभाव पद रहे हैं और बच्चे इसकी वजह से अप्राकृतिक यौन तक की तरफ मुद जाते हैं।
शिक्षकों को किशोरों को यौन सम्बन्धी शिक्षा देनी चाहिए जिससे की वह सही और गलत राह को जान सकें।
5. विज्ञापन (Advertisement)
यह बच्चों तथा बड़ों सभी को आकर्षित करते हैं; विज्ञापन द्वारा दी गयी जानकारियां बच्चों को मादक पदार्थों के खतरे के वारे में बतातीं हैं।
विज्ञापन के द्वारा नए उत्पादों की मांग बढ़ती है और बच्चे भी उन नयी चीजों को खाना पसंद करते हैं।
कई बार विज्ञापन में दिखाई गयीं चीज़ों को बिना जरुरत के भी खरीद लिया जाता है; जिससे व्यक्ति का मार्षिक बजट लड़खड़ा जाता है।
6. संगीत वीडियो (Music videos)
संगीत का इस्तेमाल बहुत समय से होता आया है तथा संगीत मन को शांत करने और आनंदित करने का एक जरिया भी होता है।
आजकल संगीत के वीडियो आते हैं जिनमें यौन दृश्यों के साथ साथ अभद्र भाषा का भी इस्तेमाल किया जाता है; जिससे किशोरों के जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
7. वीडियो गेम (Video games)
वीडियो गेम आजकल की पीढ़ियों का मनपसंद खेल बन गया है; बच्चे तथा बड़े अपना खाली वक्त बिताने के लिए इसका सहारा लेते हैं; और घंटो घंटो गेम खेलते रहते हैं।
ज्यादा समय तक गेम खेलने से उनकी आखें कमजोर हो जाती हैं और मानसिक स्वास्थ पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता है।
8. समाचार पत्र से जानकारियां (Information through Newspaper):
समाचार पत्र में देश और दुनिया कि बातें छपती हैं और वो शिक्षा कि दृष्टि से बहुत उपयोगी होती हैं।
आईएएस या सिविल सर्विसेज कि तयारी कर रहे छात्र ज्यादातर समाचार पत्र पर ही निर्भर रहते हैं और सभी जानकारियां जुटाते हैं।
शिक्षा के अतिरिक्त समाचार पत्रों में अनेक प्रेरणा दायक खबरें भी होती हैं जो किशोरों या बालकों को प्रेरणा देती हैं।
इंटरनेट (Internet)
इंटरनेट एक ऐसा जाल है जो आज दुनिया को पिरोये हुए है; कोई भी ऐसा कार्य नहीं है जिसमें इंटरनेट का इस्तेमाल न किया जाता हो।
इंटरनेट के जरिये से ज्ञानवर्धक जानकारियां प्राप्त की जा सकती हैं; इंटरनेट की जरूरतें बहुत बढ़ गयी हैं।
इसके अनेकों अच्छे इस्तेमाल हैं मगर इसके दुष्परिणामों को भी अनदेखा नहीं किया जा सकता।
इंटरनेट ने बालकों को निकम्मा और निठल्ला बना दिया है और यह समय भी बहुत बर्वाद करता है।
मीडिया के प्रयोग में सावधानियां (Precautions in use of media)
हम लोगों का या परिवारों का यह उत्तरदायित्व बनता है की बच्चे की निगरानी रखें; हमको ये पता होना जरुरी है कि बच्चा इंटरनेट पे जो देख रहा है कहीं वो गलत तो नहीं है।
बच्चों और किशोरों को इंटरनेट पर हिंसा से भरी चीजों को नहीं देखने देना चाहिए; बच्चों को दी जाने वाली सुविधाओं का सीमित होना जरुरी है।
अगर बच्चे के पास कोई वीडियो गेम है या उसके पास इंटरनेट कि सुविधा उपलब्ध है तो उसका समय निर्धारण और सीमित किया जाना जरुरी है।
टेलीविज़न देखने का भी समय निर्धारण जरुरी है जिससे कि बच्चों पर नियंत्रण रखा जा सके।
अगर माता-पिता दोनों ही कामकाजी हैं और अधिकतर समय बहार ही रहते हैं तो बच्चों के पास किसी जिम्मेदार इंसान; जैसे- दादा दादी या परिवार के अन्य लोगो को छोड़ना चाहिए जिससे कि बच्चे कि गतिविधियों पर नियंत्रण रखा जा सके।
निष्कर्ष (Conclusion)
मीडिया के जितने अच्छे उपयोग हैं उतने ही गलत उपयोग भी हैं; यह हमारे लिए लाभदायक भी है और हानिकारक भी; मगर यह हमपर निर्भर करता है कि हम इसका प्रयोग किस तरह से करते हैं।
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